सेक्‍टर में पारदर्शिता लाएगा रियल एस्‍टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्‍ट, 2016
  • रियल एस्‍टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्‍ट, 2016 का लक्ष्‍य रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में पारदर्शिता लाना और जिम्‍मेदारी तय करना है।
  • इसके प्रावधानों के मुताबिक 30 अप्रैल 2017 से पहले प्रत्‍येक राज्‍य में रेगुलेटरी अथॉरिटी बना दिएघर खरीदारों को मिले ये अधिकार
  • मकान के खरीदार अब अपने पैसे वापस मांग सकते हैं या क्षतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं।
  • क्षतिपूर्ति या रिफंड की ब्‍याज दर SBI के मार्जिनल कॉस्‍ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) से 2 फीसदी अधिक होगा (वर्तमान में लगभग 11 फीसदी)।
  • अगर ग्राहकों पर डेवलपर का कुछ बकाया है तो वह भी उपरोक्‍त दर से ब्‍याज वसूल सकता है जो विलंबित भुगतान के लिए बिल्‍डरों द्वारा वसूले जाने वाले 15-18 फीसदी की दर से काफी कम है।
  • ग्राहक द्वारा दावा किए जाने के 45 दिनों के भीतर बिल्‍डर को पैसे वापस करने होंगे।
  • बिल्‍डर विशेष अकाउंट से उसी अनुपात में पैसों की निकासी कर सकते हैं जिस अनुपात में प्रोजेक्‍ट का निर्माण हो चुका है।
  • किसी भी आधार पर प्रॉपर्टी की बिक्री में अब बिल्‍डर भेदभाव नहीं कर सकेंगे।
  • ग्राहकों की शिकायतों का त्‍वरित निपटारा किया जाएगा।
  • रियल एस्‍टेट अथॉरिटी और अपीलेट ट्रिब्‍यूनल 60 दिनों में ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा करेंगे।

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